संदेश

दिसंबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार

चित्र
Samrat mihir bhoj pratihar सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार परिहार पड़िहार पढ़ीहार राजपूत राजपुताना वीर योद्धा Parihar padhihar padihar Rajput rajputana veer yoddha PNG Logo hd picture By @GSmoothali गंगासिंह मूठली

सोशल मीडिया पर रावण से जुड़े 8 झूठ..!!

जय श्री राम सोशल मीडिया पर रावण से जुड़े 8 झूठ..!! जानिए क्या है सच्चाई..!!     विजयादशमी के दिन ही भगवान श्रीराम ने राक्षसों के राजा रावण का वध किया था..!! रावण दहन का अर्थ है कि.. हम हमारे अंदर की बुराइयों का अंत कर भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलने की कोशिश करें..!! फेसबुक, व्हाट्सअप सहित पूरे सोशल मीडिया पर रावण को लेकर कई मैसेज चल रहते हैं..!! जैसे- रावण अपनी बहन शूर्पणखा को बहुत चाहता था..!! उसी के अपमान का बदला लेने के लिए उसने सीता का हरण किया..!! इतना संयमी था कि सीता की मर्जी के बिना उसे छुआ नहीं..!! रावण अपने जीवन में कभी किसी से नहीं हारा..!! श्री राम जी जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम बनना तो दुर..रावण बनना भी सौभाग्य होगा..!! आदि आदि..!! जबकि इन सभी तथ्यों के पीछे का सच कुछ और ही है..!! आज हम आपको वही सच बता रहे हैं..जो इस प्रकार है..!!   पहला झूठ - रावण बहुत संयमी था, उसने बलपूर्वक कभी सीता को हाथ नहीं लगाया..!! सत्य -  रावण ने सीता को बलपूर्वक इसलिए हाथ नहीं लगाया क्योंकि.. उसे कुबेर के पुत्र नलकुबेर ने श्राप दिया था कि.. यदि रावण ने किसी स्त्री को उसकी इच्छा के विर

जागों रे...रजपूतो जागो...

🏻कृप्या इसें पूरा अवश्य पढ़ें! समय लग सकता हैं पढ़ने में... यह कहाँ की समझारी युद्ध सें पहले हथियार गिराने में... शराब(दारू)औंर माँस(मटन) का सेवन.... .         हमारा समाज बहुत ही पवित्र था ,हैं औंर सर्वदा रहेगा|मगर...वर्तमान में हमारी संस्कृति,हमारी विरासत को मिटाने हेतु विदेशी ताकतो सें लेकर हमारे अपने स्वार्थि लोगो ने अथक प्रयास किये|मगर...बड़े दु:ख की बात है वो सभी इनमें सफल रहें|आजकल समाज में एक बुराई या कुरिती पूर्णरूप सें मिटती नहीं की दूसरी कुरिती या बुराई अपने पैर जमा देती हैं|हम बात कर रहे हमारे समाज में शराब औंर माँस की जिसें शानौ-शौकत का दर्जा दिया गया हैं| छोटे-मोटे मांगलिक कार्यों सें लेकर...विवाह जैसै पवित्र अवसर पर शराब औंर माँस का सेवन बड़े धड्डलें सें हो रहा हैं|मगर...इससे ज्यादा दुख की बात यह है की हमारी पढ़ी लिखी युवा पीढ़ी इस कार्य में बढ़ चढ़कर भाग ले रही हैं|जिसके कारण आने वाली पीढ़ीयों पर भी बड़ा बूरा असर पढ़ रहा हैं|ऐसे करके हम स्वंय बर्बादी की राह पर सफ़र कर रहे हैं| शराब औंर माँस हमारा पतन का मुल(मुख्य) कारण रहा हैं फिर...भी सचेत नहीं हैं तो इससे बड़ा स

"राजपूत संगठन"

समाज की जब भी बात होगी संगठन का होना अपरिहार्य होगा। देखना यह है कि, उनका उद्धेश्य क्या है? दर्शन व मार्ग क्या है? सार्थकता क्या है? अथवा चला कौन रहे है? हम केवल सभी का विरोध करने में अपनी ऊर्जा व समय खर्च करेंगे तो हम भी एक बाधा ही सिद्ध होंगे। हमें उनको जानना व परखना चाहिए। सर्वोत्तम लगे उसके साथ हो जाना चाहिए। उसमें भी कोई खामी लगे तो उसके कर्ण धार/ आधार या महत्वपूर्ण घटक बनकर उसे और बेहतर बनाने का प्रयास करें। केवल आलोचना न करें। आप सही संगठन के साथ है तो आपका जीवन सार्थक, आपका प्रयास सार्थक। जितना भी हम कर पाएँगे वो ईश्वर का प्रसाद ही होगा। फिर क्यों सभी को शक की निगाह से देखते हुए नकारात्मक माहौल बनाएँ? समाज कभी बुरा नहीं रहा। बुरे आप व हम है। समाज रूपी राजपूत जाति अपनी माँ है। माता कभी कुमाता हो नहीं सकती। हम सुधर जाएं। हमारे में अच्छाइयाँ आए। बुराई से बच कर हम औरों के भी मार्गदर्शक बन सकें। समाज की मजबूत कड़ी बन कर उभरें ऐसा प्रयास करें। कई युवा जोश में संगठनों के खिलाफ अनर्गल बकवास भरे मेसेज शेयर करते रहते है। उन्हें फॉरवर्ड मत करो। ठहरो। सोचो। स्वयं उठ खड़े होने का जज्बा

स्वयंसेवक के कर्त्तव्य....

किसी भी सामाजिक संस्था और उसके स्वयं सेवको के ध्यान में रखने और उसके पालन करने की कुछ ख़ास महतवपूर्ण बाते। यदि वे इन सब पर खरे है तो निश्चित विजय व आत्मसंतुस्टी के पात्र होंने के साथ हमेशा हर कार्य में अग्रणी रहेंगे और चिरकाल तक निश्चित चर्चा के पात्र बने रहेंगे। 1. याद रखे आप कुछ नहीं करेंगे तो आप को कोई कुछ नहीं कहेगा। 2. आप अगर सक्रीय है तो हमेशा आप पर उंगलिया उठती रहेंगी। 3. अगर आप ये नहीं सोचेंगे की श्रेय किसको मिलेगा तो आप बहुत कुछ कर सकते है। 4. आपके जितने विरोधी होंगे, उतना ही ज्यादा आपका सम्मान होगा। 5. आप जितना ज्यादा काम करेंगे उतना ज्यादा ही आपको और काम करना पड़ेगा। 6. जिम्मेदारी उसी की तरफ खींची आती ही जो उन्हें उठाना चाहता और उठा सकता है। 7. आप अपने मन से जो भी प्रोजेक्ट करेंगे उसकी सफलता का श्रेय संस्था को मिलेगा और असफलता की जवाबदेही आप स्वय की होगी। 8. जो आपका सबसे अच्छा हितैशी है वो आपके मुह पर आपकी आलोचना करेगा। 9. आप को प्रशंशा जब मिलेगी जब आप उसकी अपेक्षा करना बंद कर देंगे। 10. आप लोकप्रिय तब होंगे जब अपने साथियो के कार्य को सराहेंगे और उनका उत्साह बढ़ाते र

राजपुताना/Rajputana

Historical Research  on the use of Word  "Rajputana " . "राजपूताना" शब्द के प्रयोग पर ऐतिहासिक शोध । जिन्होंने राजपूताने की स्वाधीनता को अक्षुण्ण रखने के लिए आजन्म उधोग किया और अपनी मातृभूमि के लिए अनेक कष्टों को सहकर जिन्होंने देश में एक अपूर्व आदर्श स्थापित किया उन प्रातः स्मरणीय -वीर शिरोमणी   स्वतंत्रता के पुजारी ,क्षात्र धर्म के रक्षक महाराणा प्रताप के वीरोचित जीवन पर मुग्ध होकर उनकी उज्जवल स्म्रति में उनको नमन करते हुए राजपूत वीरों की जन्मभूमि ,कर्मभूमि ,रणभूमि एवं बलिदान भूमि के लिए प्रयुक्त शब्द "राजपूताना "पर ऐतिहासिक शोध प्रस्तुत कर  रहा हूँ ।Rajputana ("The country of the Rajputs ";also called Rajasthan ,or Rajwara , "the abode of the Princes " ) .In the administrative nomenclature of the Indian Empire ,Rajputana is the name of a great territorial circle which includes eighteen Native States and two chiefship ,together with the British District of Ajmer -Merwara . राजपूताना भारतवर्ष के पश्चिमी भाग में एक बड़ा प्रांत है ।