जागों रे...रजपूतो जागो...
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कृप्या इसें पूरा अवश्य पढ़ें!
समय लग सकता हैं पढ़ने में...
यह कहाँ की समझारी युद्ध सें पहले हथियार गिराने में...
शराब(दारू)औंर माँस(मटन) का सेवन.....
हमारा समाज बहुत ही पवित्र था ,हैं औंर सर्वदा रहेगा|मगर...वर्तमान में हमारी संस्कृति,हमारी विरासत को मिटाने हेतु विदेशी ताकतो सें लेकर हमारे अपने स्वार्थि लोगो ने अथक प्रयास किये|मगर...बड़े दु:ख की बात है वो सभी इनमें सफल रहें|आजकल समाज में एक बुराई या कुरिती पूर्णरूप सें मिटती नहीं की दूसरी कुरिती या बुराई अपने पैर जमा देती हैं|हम बात कर रहे हमारे समाज में शराब औंर माँस की जिसें शानौ-शौकत का दर्जा दिया गया हैं|
छोटे-मोटे मांगलिक कार्यों सें लेकर...विवाह जैसै पवित्र अवसर पर शराब औंर माँस का सेवन बड़े धड्डलें सें हो रहा हैं|मगर...इससे ज्यादा दुख की बात यह है की हमारी पढ़ी लिखी युवा पीढ़ी इस कार्य में बढ़ चढ़कर भाग ले रही हैं|जिसके कारण आने वाली पीढ़ीयों पर भी बड़ा बूरा असर पढ़ रहा हैं|ऐसे करके हम स्वंय बर्बादी की राह पर सफ़र कर रहे हैं|
शराब औंर माँस हमारा पतन का मुल(मुख्य) कारण रहा हैं फिर...भी सचेत नहीं हैं तो इससे बड़ा संकट औंर क्या हो सकता हैं...???
इसके नुकसान हम सभी बहुत अच्छी तरिके सें जानते हुँवे भी इस पथ पर हैं तो हम मुर्ख कहलाने के अलावा कुछ नहीं हैं|इसके कारण हमारा आर्थिक,मांनसिक,सामाजिक रूप सें पतन तो हो ही रहा हैं औंर साथ ही आने वाला भविष्य हम सभी के लियें खतरें सें खाली नही हैं|इसको रोकने हेतु हम सभी क्या-क्या पहल कर सकते हैं एक बार उस पर मंथन करते हैं|
हम सभी चाहते हैं की विवाह औंर सामाजिक जैसै कार्यों में इस पर पूर्णरूप सें प्रतिबंध लगे मगर...वर्तमान स्थितियों को देखते हुँयें इस कार्य में हमें अभी बहुत समय लगेगा मगर...
यह असंभव भी नहीं हैं|इस हेतु हम आपको एक उदाहरण पेश करते हैं एक शहर में एक शराब की दूकान हैं माना की उस शहर में सभी ने शराब छोड़ दी तो क्या उस शहर में कोई शराब की दूसरी दूकान खोलेगा???इसका उत्तर है नहीं,कदापि नहीं क्योंकी उसे पता हैं की पहली दूकान भी नहीं चल रही हैं तो मेरी केसे चलेगी???इस उदाहरण सें हम यही कहना चाहते हैं की क्यों न हम पूरा जोर युवा पीढ़ी पर दे शराब पीलाने वाले पर नहीं बल्कि पीने वाले पर जोर दें|जब कोई शराब ही नहीं पियेगा तो विवाह करवाने वाला कोई पागल थोड़े ही है जो विवाह में शराब लायेगा|एक औंर उदाहरण जो आप सभी को ज्ञात हैं हम सभी जानते हैं की गुजरात में शराब प्रतिबंधित हैं मगर...दुर्भाग्य की बात हैं की सबसें ज्यादा शराब वही बिकती हैं औंर सबसें ज्यादा पीने वाले हैं|हमारा इन दोनो उदाहरणो से यही तात्पर्य हैं की हम पूरा ध्यान युवा-पीढ़ी पर दे औंर साथ ले बुर्जुगों का...अब हमें केवल युवा -पीढ़ी को सचेत करना होगा|एक उदाहरण हम हमारा ही बताते हैं|हम रोज सुबह कटोरी भरकर चाय पीते थै औंर सभी मुझें यही कहते थै की तुम चाय इतनी क्यों पीते हो??? मगर...मेने किसी की एक नहीं सुनी|जब हमें चाय के दुष्परिणाम के बारे में पता चला तो तब हमने अपने घर वालो से कहा की आप चाय बनाते ही क्यों हो जो हम इतनी पीये|आप नहीं बनाओगें तो हम कहाँ से पीयेगे|मगर...हमारा यह कथन किसी भी रूप सें सही नहीं था|तब हमारे घर वालों ने कहा की घर में नहीं बनेगी तो भी तुम्हे अगर...पीनी होगी तो तुम कहीं भी जाकर पी लोगें|हमने भी माना की पीने वाला तो कही भी जाकर पी सकता हैं औंर नहीं पीने वाले के मुँह के सामने भी बने तो भी वह नहीं पियेगा|घर में चाय न बनने वाले मुद्दे में हम हार गयें औंर आज भी हमारे घर में चाय बनती है औंर सभी पीते हैं|अंत मे हमको ही चाय छोड़नी पड़ी औंर हमने उसे सदा सदा के लिये अलविदा कह दिया|इसका तात्पर्य यह नहीं की आप हमसें सिखे इसका तात्पर्य यही हैं की छोड़ने वाला छोड़ सकता हैं औंर पीने वाला कही भी जाकर भी सकता हैं|इसलिये हम ना की पिलाने वाले पर अपितु पीने वाले पर जोर देना हैं|शायद आपको यह बात सत्य न लगे मगर..यह सत्य हैं|
उसके हेतु निम्न सुझाव हैं|
१.नौंटकी,नाटक,सभा औंर रैली निकालकर नशा मुक्ति का संदेश जन जन तक पहुँचावें|
२.सभी माता-पिता औंर अभिभावकों सें निवेदन करे की वो अपनी संतानो पर कड़ी निगरानी रखे औंर ऐसे नशीले पृदार्थों सें दूरी बनाये रखने की बात कहे|
३.अपनी संतानो औंर घर परिवार में अच्छे संस्कार दो ताकी वर्तमान अच्छा हो औंर भविष्य सुनियोजित बनें|
४. हम नशा मुक्ति के कार्यक्रम ज्यादा सें ज्यादा विद्यालयों में करें ताकी संदेश घर-घर पहुँचें|
५.हमें आमजन सें त्यौंहारो औंर नववर्ष जैसै मांगलिक कार्यों पर मिश्री औंर नीम खिलाकर नशा न करने का संकल्प दिलवाना चाहियें|
ऐसा नशा किस काम का???
जिससें हमको कैंसर हो जा...
नशा हो तो राजपूताने का
जिससे राजपूताना औंर आगे बढ़ जा...
आप सहमत हो औंर आपके पास समय हो तो साझा अवश्य करें!
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