"राजपूत संगठन"
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समाज की जब भी बात होगी संगठन का होना अपरिहार्य होगा। देखना यह है कि, उनका उद्धेश्य क्या है? दर्शन व मार्ग क्या है? सार्थकता क्या है? अथवा चला कौन रहे है?
हम केवल सभी का विरोध करने में अपनी ऊर्जा व समय खर्च करेंगे तो हम भी एक बाधा ही सिद्ध होंगे। हमें उनको जानना व परखना चाहिए। सर्वोत्तम लगे उसके साथ हो जाना चाहिए। उसमें भी कोई खामी लगे तो उसके कर्ण धार/ आधार या महत्वपूर्ण घटक बनकर उसे और बेहतर बनाने का प्रयास करें। केवल आलोचना न करें।
आप सही संगठन के साथ है तो आपका जीवन सार्थक, आपका प्रयास सार्थक। जितना भी हम कर पाएँगे वो ईश्वर का प्रसाद ही होगा। फिर क्यों सभी को शक की निगाह से देखते हुए नकारात्मक माहौल बनाएँ?
समाज कभी बुरा नहीं रहा। बुरे आप व हम है। समाज रूपी राजपूत जाति अपनी माँ है। माता कभी कुमाता हो नहीं सकती। हम सुधर जाएं। हमारे में अच्छाइयाँ आए। बुराई से बच कर हम औरों के भी मार्गदर्शक बन सकें। समाज की मजबूत कड़ी बन कर उभरें ऐसा प्रयास करें।
कई युवा जोश में संगठनों के खिलाफ अनर्गल बकवास भरे मेसेज शेयर करते रहते है। उन्हें फॉरवर्ड मत करो। ठहरो। सोचो। स्वयं उठ खड़े होने का जज्बा पैदा करो। हम सभी सक्षम है। हमारा समाज निसंदेह गौरवशाली था, है व रहेगा। हम कितना योगदान दे सकते है? इस पर विचार करके कर्मशील बनें।
माँ भगवती हम पर कृपा रखे ।
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