सोशल मीडिया पर रावण से जुड़े 8 झूठ..!!
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जय श्री राम
सोशल मीडिया पर रावण से जुड़े 8 झूठ..!! जानिए क्या है सच्चाई..!!
विजयादशमी के दिन ही भगवान श्रीराम ने राक्षसों के राजा रावण का वध किया था..!! रावण दहन का अर्थ है कि.. हम हमारे अंदर की बुराइयों का अंत कर भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलने की कोशिश करें..!!
फेसबुक, व्हाट्सअप सहित पूरे सोशल मीडिया पर रावण को लेकर कई मैसेज चल रहते हैं..!!
जैसे- रावण अपनी बहन शूर्पणखा को बहुत चाहता था..!! उसी के अपमान का बदला लेने के लिए उसने सीता का हरण किया..!!
इतना संयमी था कि सीता की मर्जी के बिना उसे छुआ नहीं..!!
रावण अपने जीवन में कभी किसी से नहीं हारा..!!
श्री राम जी जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम बनना तो दुर..रावण बनना भी सौभाग्य होगा..!!
आदि आदि..!!
जबकि इन सभी तथ्यों के पीछे का सच कुछ और ही है..!! आज हम आपको वही सच बता रहे हैं..जो इस प्रकार है..!!
पहला झूठ - रावण बहुत संयमी था, उसने बलपूर्वक कभी सीता को हाथ नहीं लगाया..!!
सत्य - रावण ने सीता को बलपूर्वक इसलिए हाथ नहीं लगाया क्योंकि.. उसे कुबेर के पुत्र नलकुबेर ने श्राप दिया था कि.. यदि रावण ने किसी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छुआ या अपने महल में रखा तो उसे सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे..!! इसी डर के कारण रावण ने ना तो सीता को कभी बलपूर्वक छूने का प्रयास किया और न ही अपने महल में रखा..!!
दुसरा झुठ - भाई हो तो रावण जैसा क्योंकि उसने अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के उसने सीता का हरण किया..!!
सत्य - रावण की बहन शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था..!! वो कालकेय नाम के राजा का सेनापति था..!! रावण जब विश्व युद्ध पर निकला तो कालकेय से उसका युद्ध हुआ..!! उस युद्ध में रावण ने विद्युतजिव्ह का भी वध कर दिया..!! तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा..!!
तिसरा झुठ - रावण ने बहन के लिए अपने कुल की कुर्बानी दे दी..!!
सत्य - रावण ने अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए सीता का अपहरण नहीं किया बल्कि इसलिए किया क्योंकि वह कामांध था..!! उसने अनेक स्त्रियों के साथ दुराचार किया था..!! जब शूर्पणखा ने रावण के सामने सीता की सुदंरता का वर्णन किया, तो उसके मन में सीता को प्राप्त करने की लालसा जाग उठी.. इसलिए रावण ने सीता का हरण किया..!!
चौथा झूठ - रावण महान शिवभक्त था..!!
सत्य - पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब रावण बैजनाथ का शिवलिंग लेकर जा रहा था..तब उसे लघुशंका आई, उसने ब्राह्मण के रुप में आए विष्णु को शिवलिंग थमा दिया और खुद निवृत्त होने चला गया..!! विष्णु ने शिवलिंग वहीं जमीन पर रख दिया..!! जब रावण आया और उसने शिवलिंग को उठाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं हिल सका तो रावण ने गुस्से में शिवलिंग पर मठ्ठूी से प्रहार कर दिया..!! जिससे शिवलिंग आधे से ज्यादा जमीन में धंस गया..!!
पांचवाॅ झुठ - रावण अजेय योद्धा था..!!
सत्य - सभी ये मानते हैं कि रावण अजेय योद्धा था..!! वह अपने जीवन में कभी किसी से नहीं हारा..!! जबकि ये बात पूरी तरह से गलत है..!! रावण राम के अलावा और भी चार लोगों के हार चुका था.. ये चार लोग हैं 1. पाताल लोक के राजा बलि..
2. महिष्मति के राजा कार्तवीर्य अर्जुन..
3. वानरराज बालि और..
4. भगवान शिव..!!
रावण जिनसे भी हारता, उनसे संधि कर लेता था..!!
छटवां झुठ - रावण धर्म का ज्ञाता और विद्वान था..!!
सत्य - रावण विद्वान जरूर था..लेकिन उसने अपने ज्ञान को कभी व्यवहारिक जीवन में नहीं उतारा..!! लाखों ऋषियों का वध किया..!! कई यज्ञों का ध्वंस किया और हजारों महिलाओं का अपहरण करके उनका बलात्कार किया..!! रावण ने रंभा नामक अप्सरा से भी दुराचार किया था..!! रावण ने वेदवती नाम की एक ब्राह्मणी के रूप से प्रभावित होकर उसके बाल पकड़ अपने साथ चलने के लिए कहा था..!! तब वेदवती ने आत्मदाह कर रावण को श्राप दे दिया था..!!
सातवाँ झूठ - रावण ने शिव से मांगी थी सोने की लंका..!!
सत्य - लंका का निर्माण देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा ने किया था..!! उसमें सबसे पहले राक्षस ही निवास करते थे..!! भगवान विष्णु के भय से जब राक्षस पाताल चले तो लंका सूनी हो गई..!! रावण के बड़े भाई (सौतेले) ने अपनी तपस्या से भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया..!! ब्रह्मा ने उसे लोकपाल बना दिया और सोने की लंका में निवास करने के लिए कहा..!! जब रावण विश्व विजय पर निकला तो उसने कुबेर से सोने की लंका व पुष्पक विमान भी छीन लिया..!! रावण ने वहां राक्षसों का राज्य स्थापित किया..!!
आठवॉं झूठ - रावण ने राम के लिए रामेश्वर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की..!!
सत्य - रामेश्वरम् को लेकर भी ये भ्रांति है.. कि राम के बुलावे पर रावण आया और उसने समुद्रतट पर रामेश्वर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई..!! लेकिन वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि समुद्र पर सेतु बनाने से पहले श्रीराम ने ही उस शिवलिंग की स्थापना की थी..!! इस भ्रांति से जुड़ा एक तथ्य ये भी है कि रावण के वध के बाद अयोध्या लौटते समय ऋषियों के कहने पर राम ने वहां शिवलिंग की स्थापना करके ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाई थी..!!
मित्रों मेरा यह छोटा सा प्रयास है..आपको हम सबके अंदर छुपी बुराइयों से अवगत कराने का..!! आईये इन बुराइयों का वध कर रामराज्य स्थापित करे..!!
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