जी हाँ हम पाली जिले को राजस्थान के राजपूतो का सिरमौर कहे तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी। हर क्षेत्र में अपने झंडे गाड़े है यहाँ के राजपूत ने राजनीती में,पढाई में ,विदेशो में ,क्राइम रिपोर्ट में,खेल में , इतिहास हो ,स्वंत्रता संग्राम हो। जिले की सिर्फ 6 % राजपूतो की जनसँख्या वाले राजपूतो ने संख्या कम होने का बहाना बनने वालो का भ्रम भी तोडा है। यहाँ मीरा बाई,सोमेश्वर ,अखेराज और राणा प्रताप आदि ने जन्म लेकर और भी पुण्य कर दिया । इसे तो ओम बन्ना की दिव्या छाया ने भी अमर कर दिया।वही चौहानो की कुलदेवी माँ आशापुरा नाडोल भी यही बिराजमान है। ---इतिहास--- =ये वही धरती है जहा राजपूतो के साथ हुए ""गिरी - सुमेल" के युद्ध में शेरशाह सूरी ने कहा था की "मैं मुट्ठी भर बाजरे की लिए हिंदुस्तान की सल्लनत खो बैठता"। = राठौड़ो के मूल पुरुष राव सीहा जी ने मारवाड़ का राज्य पाली के बिट्टू ग्राम से प्रारम्भ किया । आज भी उनकी छतरी वह पर है = वीर पृथ्वी राज चौहान की राजधानी पहले नाडोल थी फिर अजमेर बनी यहाँ से उनके पिता सोमेश्वर ने राज यहाँ से प्रारम्भ किया = मी