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मई, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार

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Samrat mihir bhoj pratihar सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार परिहार पड़िहार पढ़ीहार राजपूत राजपुताना वीर योद्धा Parihar padhihar padihar Rajput rajputana veer yoddha PNG Logo hd picture By @GSmoothali गंगासिंह मूठली

गढ़ सिवाणा के दोहें.........

मरूधर म्हारे देश रा, कांई करूँ बखाण। बाढ़ाणे रो सुरग हैं, सांची गढ़ सिंवियाण॥ परमारे गढ़ रोपियों रक्षा करै चहुँआण! छप्पन भाखर में बसे म्हारों गढ़ सिंवियाण!! दुरग री स्वामीभगति, सुं कुण है अणजाण? करमभूमि उण वीर री, सुंदर गढ़ सिंवियाण॥ गढ़ां गढ़ां सूं सोवणो, शूर सती री खाण। चहुँकूंटां चावौं घणों, सांची गढ सिंवियाण॥ कटे माथ अ'र धड लडै, राखण मायड़ मान। कला कमध वाळी कथा, गावै गढ सिंवियाण॥ अलाद्दीन सूं आथड्यौ,तीर खाग जो तांण। शीतलदे चहुआण री ,शाख भरे सिंवियाण॥ सगळां सिर नामे झुक्या,(जद) अकबर मुगल महान। चंद्रसेन तद नी नम्यौ, (वा)साख भरे सिंवियाण॥ रक्षा खातर मात रे , घण खेल्या घमसाण। कटिया पण झूूकियां नही रंग रे गढ़ सिंवियाण॥ संतां रो तप देखने, भयो अचंभित भांण। मंछगुरू मठ जिण तप्या,सरस भुमि सिंवियाण॥ भाखर पर भय भंजणी,हाजर है हिंगळाज। गढ उंचा सवियाण पर,रखै भगत री लाज॥ जय जय राजस्थान

गुजरात के वीर योद्धा राजपूत

गुजरात के कुछ वीर राजपुत यौद्धाओं के बारे मे लिखा है। जिन्होने ना ही कभी किसी के सामने सर झुकाया है, ना ही कभी हार मानी है। अपनी प्रजा के रक्षार्थ अपनी और अपने परिवारो की गरदने कटवाई है, लेकिन कभी विदेशी आक्रमणकर्ताओ के आगे झुके नही...!! १ जाम नरपतजी (जाडेजा) - जाम नरपतजी ने गजनी के पिरोजशाह बादशाह का सर उसी के दरबार मे काट डाला था | अदभुत शौर्य का प्रदर्शन करते हुए वे गजनी के सम्राट बने.. २ जाम अबडाजी "अडभंग" (जाडेजा) - 140 मुस्लिम लडकियो को बचाने के लिये दिल्ली के बादशाह अलाउदिन की विशाल सेना से युद्ध किया और वीरगति को प्राप्त हुए.. ३ जाम साहेबजी, पबाजी और रवाजी (जाडेजा) - सिंध के मिर्जा ईशा और मिर्जा सले को झारा के युद्ध (प्रथम) मे शर्मनाक हार दी.. ४ जाम सताजी, कुंवर अजाजी और मेरामणजी हाला (जाडेजा) - कर्णावती(अहमदाबाद) के सुल्तान मुझफ्फर शाह को दिल्ली के बादशाह अकबर से बचाने के लिये 'भूचरमोरी' मे युद्ध किया और वीरगति प्राप्त की। जुनागढ के नवाब और लोमा काठी की दगाबाजी की वजह से जीता हुआ युद्ध हारे.. ५ राव देशलजी जाडेजा - ईरानी आक्रमणकर्ता शेर बुलंदखान की स

“राजपूताना राइफल्स” की ऐसी 17 बातें जिन्हें जानकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा

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1. ‘राजपूताना राइफल्स’ इंडियन आर्मी का सबसे पुराना और सम्मानित राइफल रेजिमेंट है. इसे 1921 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी के तौर पर विकसित किया गया था. 2. सन् 1945 से पहले इसे 6 राजपूताना राइफल्स के तौर पर जाना जाता था क्योंकि, इसे तब की ब्रिटिश इंडियन आर्मी के 6 रेजिमेंट्स के विलय के बाद बनाया गया था. 3. राजपूताना राइफल्स को मुख्यत: पाकिस्तान के साथ युद्ध के लिए जाना जाता है. 4. 1953-1954 में वे कोरिया में चल रहे संयुक्त राष्ट्र संरक्षक सेना का हिस्सा थे. साथ ही वे 1962 में कौंगो में चले संयुक्त राष्ट्र मिशन का भी हिस्सा थे. 5. राजपूताना राइफल्स की स्थापना 1775 में की गई थी, जब तात्कालिक ईस्ट इंडिया कम्पनी ने राजपूत लड़ाकों की क्षमता को देखते हुए उन्हें अपने मिशन में भरती कर लिया. 6. तब की बनी स्थानीय यूनिट को 5वीं बटालियन बंबई सिपाही का नाम दिया गया था. इसे 1778 में 9वीं बटालियन बंबई सिपाही के तौर पर रि-डिजाइन किया गया था. रेजिमेंट को 1921 में फ़ाइनल शेप देने से पहले 5बार रि-डिजाइन किया गया. 7. 2 राजपूताना राइफल्स वहां लड़ने वाली 7 आर्मी यूनिट्स में से पहली यूनिट थी, जिसे

राजपूतो के कुछ अनजाने व अनभिज्ञ सच भाग-2

1) अगर आप के पिता जी /दादोसा बिराज रहे है तो कोई भी शादी ,फंक्शन, मंदिर इतिआदि में आप के कभी भी लम्बा तिलक और चावल नहीं लगेगा, सिर्फ एक छोटी टीकी लगेगी ! 2) पहले के वक़्त वक़्त राजपूत समाज में अमल का उपयोग इस लिए ज्यादा होता था क्योकि अमल खाने से खून मोटा हो जाता था, जिस से लड़ाई की समय मेंहदी घाव लगने पर खून कार रिसाव नहीं के बराबर होता था, और मल-मूत्र रुक जाता था जयमल मेड़तिया ने अकबर से लड़ाई के पूर्व सभी राजपूत सिरदारो को अमल पान करवाया ने 3) पहले कोई भी राजपूत बिना पगड़ी के घोड़े पर नही बैठते थे 4) सौराष्ट्र (काठियावाड़) और कच्छ में आज भी गिरासदार राजपूत घराने में अगर बेटे की शादी हो तो बारात नहीं जाती, उसकी जगह लड़केवालों की तरफ से घर के वडील (फुवासा, बनेविसा, मामासा) एक तलवार के साथ 3 या 5 की संख्या में लड़की के घर जाते हे जिसे "वेळ” या ‘खांडू" कहते है. लड़कीवाले उस तलवार के साथ विधि करके बेटीको विदा करते है. मंगल फेरे लड़के के घर लिए जाते है. 5) आज भी कही घरो में तलवार को मयान से निकालने नहीं देते, क्योकि तलवार को परंपरा है की अगर वो मयान से बाहर आई तो यहाँ तो उनके खून ल

राजपूत वीर योद्धाओ के महान सत्य

जरूर पढ़े और शेयर करे। ... महान सत्य् 1. बप्पा रावल,- अरबो, तुर्को को कई हराया ओर हि हिन्दू धरम रक्षक की उपाधि धारण की 2 . भीम देव द्वितीय सोलंकी - मोहम्मद गौरी को 1178 मे हराया और 2 साल तक जेल मे बंधी बनाये रखा 3 , पृथ्वीराज चौहान - गौरी को 16 बार हराया और और गोरी बार बार कुरान की कसम खा कर छूट जाता .....17वी बार पृथ्वीराज चौहान हारे 4 , हम्मीरदेव (रणथम्बोर) - खिलजी को 1296 मे अल्लाउदीन ख़िलजी के 20000 की सेना में से 8000 की सेना को काटा और अंत में सभी 3000 राजपूत बलिदान हुए राजपूतनियो ने जोहर कर के इज्जत बचायी ..हिनदुओ की ताकत का लोहा मनवाया 5 . कान्हड देव सोनिगरा – 1308 जालोर मे अलाउदिन खिलजी से युद्ध किया और सोमनाथ गुजरात से लूटा शिवलिगं वापिस राजपूतो के कब्जे में लिया और युद्ध के दौरान गुप्त रूप से विश्वनीय राजपूतो , चरणो और पुरोहितो द्वारा गुजरात भेजवाया तथा विधि विधान सहित सोमनाथ में स्थापित करवाया 6 . राणा सागां- बाबर को भिख दी और धोका मिला ओर युद्ध . राणा सांगा के शरीर पर छोटे-बड़े 80 घाव थे, युद्धों में घायल होने के कारण उनके एक हाथ नही था एक पैर नही था, एक आँख नहीं थी उन

*** राजपुताना की क्षत्रानिया***

*** राजपुताना की क्षत्रानिया*** यह रचना हिंदी, गुजराती, चारणी भाषा मे है, जिसमे हिंदुस्तान की राजराणी व क्षत्रियाणी का चित्र है, उसका वर्तन, रहेणीकहेणी, राजकाज मे भाग, बाल-उछेर और शुद्धता का आदर्श है. उसका स्वमान, उसकी देशदाझ, रण मे पुत्र की मृत्यु की खबर सुन वो गीत गाती है, पुत्र प्रेम के आवेश मे उसे आंसु नही आते, लेकिन जब पुत्र रण से भागकर आता है तो उसे अपना जिवन कडवा जहर लगने लगता है, उसका आतिथ्य, गलत राह पर चडे पति के प्रति तिरस्कार, रण मे जा रहा पति स्त्रीमोह मे पीछे हटे तो शीष काटकर पति के गले मे खुद गांठ बांध देती है. फिर किसके मोह मे राजपुत वापिस आये? उसके धावण से गीता झरती है, उसके हालरडे मे रामायण गुंझती है, भय जैसा शब्द उसके शब्द कोश मे नही है. उसका कूटुंबवात्सल्य., सास-ससुर और जेठ के प्रति पूज्य भाव, दास-दासी पर माता जैसा हेत लेकिन बाहर से कठोर, पति की रणमरण की बात सुन रोती नही अपितु घायल फौज के अग्र हो रणहांक गजाती है. एसी आर्यवर्त की राजपुतानी भोगनी नही, जोगनी है. राजपुतो मे आज एसी राजपुतानीयो के अभाव से काफी खोट पड गयी है...इसी बात का विवरण इस रचना मे है... रंगम्हेल म