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सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार

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Samrat mihir bhoj pratihar सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार परिहार पड़िहार पढ़ीहार राजपूत राजपुताना वीर योद्धा Parihar padhihar padihar Rajput rajputana veer yoddha PNG Logo hd picture By @GSmoothali गंगासिंह मूठली

अमर बलिदानी महावीर सिंह राठौड़

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अमरशहीद सरदार #भगतसिंह को लाहौर से निकालने वाले वीर #अमर_शहीद_क्रांतिकारी_ #महावीर_सिंह_राठौड़ की #जयंती पर उनको शत शत नमन...... अमर बलिदानी महावीर सिंह राठौड़... आइये परिचित होते हैं अमर बलिदानी महावीर सिंह से। उनका जन्म 16 सितम्बर 1904 को उत्तर प्रदेश के एटा जिले के शाहपुर टहला नामक एक छोटे से गाँव में उस क्षेत्र के प्रसिद्द वैद्य कुंवर देवी सिंह और उनकी धर्मपरायण पत्नी श्रीमती शारदा देवी के पुत्र के रूप में हुआ था| प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही प्राप्त करने के बाद महावीर सिंह ने हाईस्कूल की परीक्षा गवर्मेंट कालेज एटा से पास की| राष्ट्र -सम्मान के लिए मर-मिटने की शिक्षा अपने पिता से प्राप्त करने वाले महावीर सिंह में अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत की भावना बचपन से ही मौजूद थी, जिसका पता उनके बचपन में घटी एक घटना से भी मिलता है। हुआ ये कि जनवरी 1922 में एक दिन कासगंज तहसील (वर्तमान में ये अलग जिला बन गया है) के सरकारी अधिकारियों ने अपनी राजभक्ति प्रदर्शित करने के उद्देश्य से अमन सभा का आयोजन किया, जिसमें ज़िलाधीश, पुलिस कप्तान, स्कूलों के इंस्पेक्टर, आस -पड़ोस के अमीर -उमरा

जानिए भारत मे तुर्क-मुग़ल स्थापना की असली वजह क्या थी

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#Nota का जिक्र आने पर कुछ मन्दबुद्धि भक्त और इतिहास का अधकचरा ज्ञान प्राप्त किये हुए संघी उपदेश दे रहे हैं कि मध्यकाल में भी कुछ राजपूत राजा Nota दबा देते थे और राजपूतो की आपसी फूट के कारण तुर्को-मुगलों का राज भारतवर्ष में स्थापित हो गया !! सुनी सुनाई बातों के आधार पर या किन्ही एक-दो नालायकों की करतूतों के आधार पर पुरे समाज पर लांछन लगाना कहाँ तक उचित है??? और जब ये लांछन लगाने का कार्य खुद को कट्टर संघी/ हिंदुत्ववादी बताने वाले करते हैं तो और दुःख होता है। मौहम्मद साहब की मृत्यु के एक दशक के भीतर ही अरब हमलावरो ने तलवार के दम पर ईरान ईराक सीरिया मिस्र और पुरे मध्य पूर्व एशिया का इस्लामीकरण कर दिया और जीतते हुए वो स्पेन तक जा पहुंचे, मगर भारत ही ऐसा अकेला देश था जिसने उनका सफल प्रतिरोध किया, सम्राट हर्षवर्धन बैस की मृत्यु के बाद से सन् 1192 तक भारत के वीरों ने इस्लामिक हमलावरो का लगातार 500 वर्ष से अधिक समय तक सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया।बाद में आपसी फुट के कारण भारत में इस्लामिक सत्ता स्थापित तो हुई मगर वो निरन्तर प्रतिरोध के कारण भारत का 10% भी इस्लामीकरण नही कर पाए। इस बा