*** प्रतिहार क्षत्रिय राजवंश *** मित्रों आज की इस पोस्ट के द्वारा हम आपको प्रतिहार क्षत्रिय वंश के राज्य व ठिकानों की जानकारी देंगे।। प्रतिहार एक ऐसा वंश है जिसकी उत्पत्ति पर कई महान इतिहासकारों ने शोध किए जिनमे से कुछ अंग्रेज भी थे और वे अपनी सीमित मानसिक क्षमताओं तथा भारतीय समाज के ढांचे को न समझने के कारण इस वंश की उतपत्ति पर कई तरह के विरोधाभास उतपन्न कर गए। प्रतिहार एक शुद्ध क्षत्रिय वंश है जिसने गुर्जरादेश से गुज्जरों को खदेड़ने व राज करने के कारण गुर्जरा सम्राट की भी उपाधि पाई। मनुस्मृति में प्रतिहार,परिहार, पढ़ियार तीनों शब्दों का प्रयोग हुआ हैं। परिहार एक तरह से क्षत्रिय शब्द का पर्यायवाची है। क्षत्रिय वंश की इस शाखा के मूल पुरूष भगवान राम के भाई लक्ष्मण माने जाते हैं। लक्ष्मण का उपनाम, प्रतिहार, होने के कारण उनके वंशज प्रतिहार, कालांतर में परिहार कहलाएं। कुछ जगहों पर इन्हें अग्निवंशी बताया गया है, पर ये मूलतः सूर्यवंशी हैं। पृथ्वीराज विजय, हरकेलि नाटक, ललित विग्रह नाटक, हम्मीर महाकाव्य पर्व (एक) मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति में परिहार वंश को सूर्यवंशी ही लिखा गया है।