सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार

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Samrat mihir bhoj pratihar सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार परिहार पड़िहार पढ़ीहार राजपूत राजपुताना वीर योद्धा Parihar padhihar padihar Rajput rajputana veer yoddha PNG Logo hd picture By @GSmoothali गंगासिंह मूठली

'राजपूती विजय अभियान'

1.7वीं से 12 वीं शताब्दी तक का राजपूत इतिहास ही भारत का इतिहास है। अजमेर के अर्णोराज चौहान 1133-53 ने अन्ना सागर पर तुर्कों को बुरी तरह परास्त कर घोड़े छीन लिए। वे  20 वर्ष तक सपादलक्ष की और झांक भी नहीं सके।
2.दिल्ली के तोमरों ने तुर्कों से हाँसी छीन ली।
3.विग्रहराज चौहान ने गजनी के शासक खुशरुशाह को सीमा पार खदेड़ दिया था।
4.1178 में गुजरात  के चालुक्य राजा भीमदेव द्वितीय ने गौरी को बुरी तरह हराया।
5.1191 में तराइन के प्रथम युद्ध में  पृथ्वीराज तृतीय ने गौरी को हराकर बंदी बनाया।
6.मेवाड़ के शासक जैत्र सिंह जी ने दिल्ली के शासक इलतुत्मिस व बलबन को हराया।
7.1292 में रणथम्भोर के हम्मीरदेव चौहान ने दिल्ली के जलालुद्दीन खिलजी को हरा कर भगाया।
8.1298 में सोमनाथ लूटकर लौटती खिलजी सेना को जालौर के कान्हड़देव के मंत्री जेता देवड़ा ने लूट लिया। उलूग खां व नुसरत खां को मुंह की खानी पड़ी।
9.1299 में इन्ही दोनों को रणथंभोर के नायक भीम सिंह व धर्म सिंह ने परास्त कर भगाया।
10.मेवाड़ के महाराणा कुम्भा 1433-68 ने सारंगपुर के युद्ध 1437 में मालवा के महमूद खिलजी को परास्त कर मांडू तक पीछा कर बंदी बनाया। विजय स्तम्भ इसका गवाह है। 1458 में मालवा व गुजरात की सयुंक्त सेनाओं को परास्त किया।
11.मेवाड़ के म.सांगा 1509-1528 ने गागरोन के युद्ध में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी द्वितीय को परास्त किया। 1517 में खातोली के युद्ध में दिल्ली के इब्राहिम लोदी को हराया। बयाना के युद्ध में बाबर की सेना को आत्मसमर्पण हेतु मजबूर किया। बाबरनामा-वे सब राजपूत वीरों में अपनी मृत्यु देखकर भयभीत थे।
12.1576 में हल्दीघाटी में महाराणा प्रतापसिंह 1572-97 का पलड़ा भारी रहा। अकबर ने अपनी सर्वोच्चता थोपने का असफल प्रयास किया था। अकबर के लौटते ही मुजाहिद बेग को मार गोगुन्दा पर अधिकार कर दिया। 1580 में कुं.अमरसिंह ने रहीम को हराया। 1582 के दिवेर घाटी के युद्ध में राणा की निर्णायक जीत हुई।
13.1857 में आउवा के ठाकुर खुशालसिंह,आलनियवास के अजीतसिंह,गूलर के विशन सिंह ने क्रांति में भाग लिया।
गोपालसिंह जी खारवा को कौन नहीं जनता।

ऐसे थे क्षात्र धर्म के प्रतिपालक।

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